भारत पर अरबों का आक्रमण Bharat par arbon ka aakraman

भारत पर अरबों का आक्रमण Bharat par arbon ka aakraman 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख भारत पर अरबों का आक्रमण (Bharat par arbon ka aakraman) में।

दोस्तों इस लेख में आप जानेंगे की भारत पर अरबों का आक्रमण कैसे हुआ और किसने किया। तो आइये शुरू करते है, यह लेख भारत पर अरबों का आक्रमण:-


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भारत पर अरबों का आक्रमण


भारत पर अरबों का आक्रमण Arab invasion of India

अरब के शासकों ने सातवीं शताब्दी से ही भारत पर आक्रमण करने शुरू कर दिए थे क्योंकि सातवीं शताब्दी से ही अरब अचानक अत्यंत शक्तिशाली सैनिक शक्ति के रूप में भूपटल पर उतरे थे

और उनका अचानक शक्तिशाली हो जाना विश्व के इतिहास की एक प्रमुख घटना मानी जाती है। इसलिए अरब के लोगों ने तथा अरब के शासकों ने अपने आसपास के अन्य देशों पर भी आक्रमण करना शुरू कर दिया, जिसमें से एक देश भारत देश भी है,

जहाँ पर अरब के कई अभियान हुए जिनमें कुछ सफल हुए तो कुछ असफल हो गए। यहाँ पर भारत के कुछ अरब आक्रमण समझाएँ गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं:-


अरबों का प्रथम अभियान The first campaign of the Arabs

अरबों ने भारत पर आक्रमण करने के लिए अरबों का प्रथम अभियान के अंतर्गत सबसे पहले उन्होंने मुंबई भडोंच तथा देवल के बंदरगाहों पर अधिकार करने का प्रयास किया था, किंतु उनका यह प्रयास विशेष रूप से सफल ना हो सका।

अरबों का यह अभियान 663 ईसवी में शुरू हुआ था और 643 ईसवी में अरबों ने सिंध पर अधिकार करने का प्रयत्न तो किया था, किंतु उन्हें बुरी तरह से सफलता प्राप्त हुई थी।


अरबों का द्वितीय अभियान Second campaign of the Arabs

अरबों ने अपना द्वितीय अभियान भारत के खिलाफ उस समय छेड़ा था जब सिंध पर दाहिर नामक राजा राज्य करता था। जैसा कि अरब पहले अभियान में अरब पूरी तरह से असफल हो चुके थे, इसीलिए सिंध पर अधिकार करने की अवसर की प्रतीक्षा में ही बैठे थे।

सबसे पहले उन्हें 708 ईसवी में यह अवसर प्राप्त हुआ। जब श्रीलंका से एक जहाज इराक जा रहा था, तो उसमें कुछ मुसलमान महिलाएँ भी यात्रा कर रही थी, इस जहाज को देवल बंदरगाह के समीप कुछ लुटेरों ने लूट लिया। इराक के गवर्नर हज्जाज ने दाहिर को संदेश भेजा कि वह इन लुटेरों को दंडित करें,

किंतु दाहिर ने ऐसा करने से मना कर दिया। तब हज्जाज ने सेनापति उबेदुल्लाह के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण कर दिया और दाहिर से युद्ध हुआ, जिसमें उबेदुल्लाह की बुरी तरह पराजित हुई और वह मारा गया। इसके बाद एक और अन्य सेनापति

सिंध पर आक्रमण करने के लिए आया, किंतु इसको भी दाहिर के पुत्र जयसिंह ने परास्त कर दिया और उसकी हत्या कर दी इस प्रकार से अरबों का द्वितीय अभियान भी पूरी तरह से असफल रहा।


अरबों का तृतीय अभियान The third campaign of the Arabs

अरबों का तीसरा आक्रमण मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में हुआ था, इसीलिए इसको मोहम्मद बिन कासिम का आक्रमण के नाम से भी जाना जाता है।

अपने दो सेनापतियों की मृत्यु का समाचार जब गवर्नर हज्जाज ने सुना तो वह अत्यंत ही क्रोधित हो गया और उसने एक शक्तिशाली सेना तैयार की तथा अपने दामाद मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण करने के लिए भेज दिया।

मोहम्मद बिन कासिम ने दाहिर के विरोधियों को भी अपने साथ मिला लिया इसलिए जो दाहिर से नाराज थे वे दाहिर के विरोध में खड़े हो गए इसलिए पूरी तैयारी के साथ मोहम्मद बिन कासिम ने देवल पर आक्रमण कर दिया, जहाँ उसका सामना दाहिर के भतीजे से हुआ था।

उसने बड़ी ही वीरतापूर्वक दाहिर के भतीजे से युद्ध लड़ा, किंतु मोहम्मद बिन कासिम दाहिर के भतीजे को परास्त नहीं कर पा रहा था तो किसी विरोधी ब्राह्मण के कारण गुप्त रहस्य के द्वारा उसने देवल पर अधिकार कर लिया और उसने देवल को खूब लूटा और विभिन्न प्रकार के अत्याचार वहाँ के लोगों पर किये गए।

सभी वयस्क पुरुषों को या तो मौत के घाट उतार दिया जाता था या फिर उनको दास बनाकर अपने देश में ले जाकर बेच दिया जाता था। देवल के पश्चात मोहम्मद बिन कासिम ने निरुण नगर की ओर प्रस्थान किया जहाँ पर अधिक मात्रा में बौद्ध रहा करते थे

उन्होंने बिना युद्ध किये मोहम्मद बिन कासिम की अधीनता को स्वीकार कर लिया। निरुण नगर के पश्चात मोहम्मद बिन कासिम ने सेहवान पर अधिकार किया और फिर उसने सिंध नदी को पार करके दाहिर पर आक्रमण कर दिया। दाहिर और मोहम्मद बिन कासिम के बीच राबोर स्थान पर भयानक युद्ध हुआ

जिसमें दाहिर के ह्रदय में एक तीर लग गया और उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इसके बाद दाहिर की पत्नी तथा अन्य स्त्रियों ने भी अरबों का सामना किया किन्तु वे अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहीं और उन्होंने अग्निकुण्ड में प्रवेश करके अपना आत्मदाह कर लिया।

इसके बाद मोहम्मद बिन कासिम ने दाहिर के पुत्र जयसिंह पर आक्रमण किया जहाँ पर उसने कुछ विद्रोहियों को अपने साथ मिलाकर जयसिंह को पराजित करके ब्राह्मणवाद पर अधिकार कर लिया।

इस प्रकार से मोहम्मद बिन कासिम ने अलोर तथा मुल्तान पर भी अधिकार कर लिया अतः मोहम्मद बिन कासिम के सफल नेतृत्व के कारण तथा पूर्व सैनिक तैयारी के कारण और विद्रोहियों की सहायता प्राप्त होने के कारण उसने संपूर्ण सिंध पर आक्रमण करके उसे अपने कब्जे में ले लिया है।

चचनामा के अनुसार मोहम्मद बिन कासिम को उसकी उपर्युक्त समस्त विजयों के पश्चात 7 से 12 ईसवी में मृत्यु दंड दे दिया गया था और उसकी मृत्यु का कारण उसके चाचा और ससुर हज्जाज एवं खलीफा सुलेमान की पारस्परिक शत्रुता बताई जाती है।


जुनैद का अभियान Junaid's campaign

जब मोहम्मद बिन कासिम की मृत्यु हो गई तो दाहिर के पुत्र जयसिंह ने अपने क्षेत्र ब्राह्मणवाद पर फिर से आक्रमण कर लिया और अरबों को अपने राज्य से खदेड़ दिया। तब अरब के खलीफा हिसाम जो अरब के खलीफा सुलेमान का उत्तराधिकारी था

जिसने जुनैद को सिंध का गवर्नर नियुक्त कर दिया। जुनैद और जयसिंह के मध्य मुकाबला हुआ जिसमें जुनेद ने जय सिंह को परास्त कर बंदी बना लिया और राजस्थान तथा गुजरात के कुछ प्रदेशों पर भी अधिकार करके उसे अपने राज्य में मिला लिया।


अरबों की असफलता के कारण Reasons for the failure of the Arabs

अरबों की भारत में असफलता के विभिन्न कारण थे जिसमें से सबसे बड़ा कारण था मोहम्मद बिन कासिम की मृत्यु। मोहम्मद बिन कासिम एक सफल सैनिक और वीर साहसी शासक था,

उसने अपने नेतृत्व तथा नीति के कारण भारत के प्रमुख क्षेत्र सिंध पर अधिकार कर लिया था, किंतु वह आपसी दुश्मनी के कारण मृत्यु के घाट उतर गया जबकि जुनैद ने राजस्थान और गुजरात के कुछ भूभाग पर अधिकार तो कर लिया था, किन्तु भारत के कुछ शक्तिशाली राजाओं ने उसके भारत के अंदर आने पर रोक लगा दी और उसे परास्त करके अरब भेज दिया।

इसके अलावा विभिन्न राजाओं के द्वारा भी अरब परास्त हुए जैसे लट के राजा पुलकेशी राज से गुर्जर प्रतिहार शासक नागभट्ट से ललितादित्य मुक्तापीड़ा और यशोवर्मा से। जुनैद के बाद जो उत्तराधिकारी हुए वह असफल और कमजोर थे, इसलिए उन्होंने भारत पर आक्रमण करने के बारे में कभी नहीं सोचा इसके बाद खलीफा अल मंसूर के समय में भी अरबों ने भारत पर आक्रमण किया था, किंतु वे सफल नहीं हुए।


अरबों की असफलता के कारण Reasons for the failure of the Arabs

अरबों में आपसी विवाद के कारण भी अरब भारत में असफल रहे, क्योंकि अधिकांश खलीफा तो आयोग्य थे, जबकि कुछ में मतभेद हुआ करते थे

अरबों का भारत पर आक्रमण विभिन्न प्रकार से असफल रहा क्योंकि, भारतीय राजा अधिक शक्तिशाली भी हुआ करते थे, जिसकी सबसे अधिक चुनौतियां जुनैद ने स्वीकार की और जुनेद के बाद जो उत्तराधिकारी हुए वह आयोग्य निकले।


भारत पर अरब आक्रमण का प्रभाव Effect of Arab Invasion on India

अरब भारत पर पूरी तरह से सफलता तो प्राप्त ना कर सके, किंतु उनका प्रभाव तत्कालीन भारत पर अवश्य पड़ा था जिसे हम निम्न प्रकार से समझते हैं:-


सामाजिक प्रभाव Social Effect 

अरबों का आक्रमण भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव छोड़ कर गया। अरबों ने भारतीय लोगों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया,  तथा भारतीयों से वैवाहिक संबंध भी उन्होंने स्थापित किए और एक नए वर्ग मुसलमान वर्ग को जन्म दिया।


राजनीतिक प्रभाव Political Effect 

भारत के अधिकतर राजा शक्तिशाली हुआ करते थे और उन्होंने अरबों को विशेष सफलता प्राप्त नहीं होने दी, इसीलिए उनके आक्रमणों का विशेष राजनीतिक प्रभाव भारत पर देखने को नहीं मिलते हैं।


सांस्कृतिक प्रभाव Cultural Effect 

अरबों के आक्रमण के पश्चात भारत पर उनकी संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव तत्कालीन व्यापार पर भी पड़ा था, भारतीयों के अरबों से सीधे संपर्क होने लगे और भारतीय व्यापार में उन्नति हो गई। भारतीय दर्शन का भी इस्लाम पर प्रभाव पड़ा तथा अरब के लोगों को दशमलव की पद्धति और नक्षत्र विद्या का ज्ञान भी भारतीयों द्वारा प्राप्त हो सका।

दोस्तों आपने यहाँ भारत पर अरबों का आक्रमण (Bharat par arbon ka aakraman) पढ़ा। आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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