चिकनगुनिया बुखार के लक्षण और उपाय Chikungunya fever symptoms and remedies

चिकनगुनिया बुखार के लक्षण और उपाय Chikungunya fever symptoms and remedies

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख चिकनगुनिया के लक्षण और उपाय (Chikungunya fever symptoms and remedies) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप चिकनगुनिया क्या है?

चिकनगुनिया के लक्षण चिकनगुनिया के कारण के साथ चिकनगुनिया के निदान के उपाय जानेंगे। तो आइये करते है शुरू यह लेख चिकनगुनिया के लक्षण और उपाय:-

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चिकनगुनिया बुखार के लक्षण और उपाय

चिकनगुनिया किसे कहते हैं what is chikungunya

चिकनगुनिया एक मच्छर द्वारा फैलने वाला रोग है, जिसका मुख्य कारण विषाणु होता है। यह एक ऐसा रोग है जो लंबे समय तक जोड़ों, हड्डियों में दर्द के लिए उत्तरदाई माना जाता है।

इस बुखार में जोड़ों और हड्डियों में बहुत तेज दर्द होता है। इस रोग की सबसे पहले पहचान 1952 में तंजानिया देश में की गई थी,

जबकि चिकनगुनिया शब्द की उत्पत्ति स्थानीय किमेकोंडे भाषा से हुई है,जिसका अर्थ होता है 'दोहरा हो जाना' क्योंकि इसमें रोगी को जोड़ो में असाध्य पीड़ा होती है इसकारण वह झुक जाता है,

उसका शरीर दोहरा हो जाता है। इस रोग के निदान में विषाणु (Virus) के आर एन ए अथवा विषाणु के प्रतिलक्षणों के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है।

चिकनगुनिया बुखार के लक्षण और उपाय

चिकनगुनिया का कारक Cause of chikungunya

चिकनगुनिया नामक रोग एक विषाणु टोगाविरिडी कुल (Togaviridae Family) के अल्फावायरस वंश (Alpha Virus Genus) का एक आरएनए विषाणु के द्वारा फैलता है, जिसका वहन करने वाला जंतु अथ्रोपोडा संघ का मच्छर होता है,

इसलिए इसे अरबोवायरस (Arbovirus) के नाम से भी जाना जाता है। यह विषाणु सेमलिकी वन विषाणु संमिश्र का सी एक सदस्य है, तथा रॉस रिवर वायरस (Ross river virus) 

सेमलिकी वन वायरस ओन्योन्गेनियोग विषाणु से भी निकटतम संबंध रखता है। इस विषाणु में लगभग 11.6 केवी वाला धनात्मक अर्धएकल सूत्री RNA जीनोम पाया जाता है। 

चिकिनगुनिया का संक्रमण Chikungunya infection

चिकनगुनिया नामक रोग एक विषाणु के द्वारा फैलता है लेकिन इसका वाहक प्रमुख रूप से मादा टाइगर मच्छर एडिज होता है जिससे ए.एजिप्टाई (A.Aegypti) तथा ए.एल्बोपिक्तस (A.Albopictus) भी कहते हैं।

यह विषाणु विभिन्न प्रकार के जंतुओं जैसे कि पक्षियों, बंदरों आदि में भी पाया जाता है। यह विषाणु संक्रमित दूध लेने से या अंगदान के माध्यम से और गर्भावस्था में जन्म के समय माता से शिशु में भी इस पहुँच संक्रमण फैला देता है। 

चिकिनगुनिया के लक्षण Symptoms of Chikungunya

चिकनगुनिया रोग एक ऐसा रोग है, जिसमें कभी-कभी तो लक्षण स्पष्ट नहीं होते, किंतु लगभग 90% व्यक्तियों में इसके लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। इस रोग में विभिन्न प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं, जो निम्नप्रकार है:- 

  1. चिकनगुनिया नामक रोग में 102.2 फॉरेनहाइट तक का बुखार उत्पन्न हो जाता है और जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है, कि व्यक्ति चल भी नहीं पाता। रोगी के चेहरे और शरीर पर लाल रंग के चकते से बन जाते हैं।
  2. रोगी को सिर दर्द होने के साथ आंखों में पीड़ा आरम्भ हो जाती है और प्रकाश से डर लगने लगता है। पेशीय तंत्र और स्नायु तंत्र में भी पीड़ा आरंभ होकर कई विकार उत्पन्न हो जाते है।
  3. चिकनगुनिया में अधिकतर 2 दिन के बाद ज्वर तो समाप्त हो जाता है, किन्तु कई विभिन्न घातक विकार छोड़ जाता है,जैसे कि पेट में दर्द होना, सूल उठना (वाय गोला) डायरिया, अनिद्रा और कमजोर शरीर यह लक्षण चिकनगुनिया में 8 से 10 दिन तक चलते होंगे।
  4. किंतु कभी-कभी चिकनगुनिया के पश्चात ऐसे लक्षण, विकार उत्पन्न होते हैं, जो लंबे समय तक लगभग महीनो और सालों तक चलते है। इनमें प्रमुख रूप से जोड़ों में दर्द को देखा जाता है।
  5. मनुष्य में चिकुनगुनिया विषाणु की रोगजनता का ज्ञान बहुत कम होता है। जीवित कोशिकाओं में किए गए अध्ययन में यह पता लगाया  कि विषाणु फाइब्रोब्लास्ट (fibroblast) कंकाली पेशियों की आगामी कोशिकाओं तथा पेशी तंत्र में प्रतिकृति करता है।

चिकिनगुनिया के रोकथाम और नियंत्रण Chikungunya Prevention and Control

चिकनगुनिया पर नियंत्रण पाने के लिए तथा चिकनगुनिया नामक रोग से बचने के लिए अभी तक किसी भी प्रकार के टीके का आविष्कार नहीं हुआ है। इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ विशेष प्रकार रोकथाम के उपाय निम्न प्रकार से हैं:- 

  1. चिकनगुनिया नामक रोग का वाहक मच्छर होता है, इसीलिए इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए और इससे बचने के लिए अपने आसपास के मच्छर प्रजनन क्षेत्रों (Moaquito Breeding Area) को नष्ट कर देना चाहिए।
  2. जहाँ पर मच्छर अधिक उत्पन्न होते हैं, उन स्थानों को नष्ट कर देना चाहिए, नालियों, नाले आदि को ढक देना चाहिए और समय-समय पर कीट रोधक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। 
  3. जिस क्षेत्र में चिकनगुनिया अधिक फैलता है वहाँ व्यक्तियों को हमेशा फुल कपड़े पहनने चाहिए, रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए और विभिन्न मच्छर रोधी वस्तुओं काला हिट, मच्छर अगरबत्ती आदि का उपयोग भी करना चाहिए। 
  4. जिस क्षेत्र में मच्छर अधिक प्रजनन करते हैं और वहाँ चिकनगुनिया का खतरा अधिक होता है, तो वहाँ के लोगों को कपड़ों को पायरेथ्राइड (Pyrethroid) नामक औषधि से उपचार करना चाहिए। 
  5. चिकनगुनिया के लिए कोई भी विशिष्ट उपचार की अभी तक खोज नहीं की गई है, किंतु जैसे ही चिकनगुनिया के लक्षण दिखाई देते हैं, डॉक्टर की सलाह और दवा अवश्य लेनी चाहिए।
  6. चिकनगुनिया रोग में बुखार तीव्र होता है और जोड़ों में तीव्र दर्द होने लगता है। इसके लिए गैर स्टेरॉयड और गैर एस्पिरिन एनाल्जेसिक और पेरासिटामोल आदि का उपयोग डॉक्टरी सलाह पर किया जाना चाहिए।

चिकनगुनिया की आयुर्वेदिक दवा Ayurvedic medicine for chikungunya

चिकनगुनिया के लक्षणों को देखकर आयुर्वेदिक दवा रोगी को दी जा सकती है। यह दवा असर तो धीरे - धीरे करती है, किन्तु रोग को जड़

से ख़त्म कर सकती है। आयुर्वेद में विभिन्न नुस्खे मिल जायेंगे जो चिकनगुनिया के साथ डेंगू और अन्य वायरल रोगों में असरकारक होते है। 

चिकिनगुनिया में रोगी को तुलसी, गुरुति, चिरायता, मुलैठी, कालमेघ, सुष्ठि, कालीमिर्च, भुंइ आंवला, पपीता के पत्ते, भ्रंगराज, वासा एवं इलायची का काढा बनाकर दिन में तीन से पाँच बार पिलाने से जोड़ो में दर्द, उल्टी, घबराहट, बुखार, आदि में लाभ मिलता है।

चिकिनगुनिया खत्म होने पर अगर शारीरिक कमजोरी महसूस होती है तो व्यक्ति को सुबह - शाम अश्वगंधा, पला व शताबरी का मिश्रित चूर्ण दूध के साथ देने से शारीरिक कमजोरी दूर होकर व्यक्ति बलबर्धक और वीर्यबर्धक बनता है।

दोस्तों इस लेख में आपने चिकनगुनिया बुखार के लक्षण और उपाय (Chikungunya fever symptoms and remedies) पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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