शुक्राणु जनन क्या है what is spermatogenesis
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के इस लेख शुक्राणु जनन क्या है (What is Spermetogenesis) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आज आप नर युग्मक शुक्राणु के बारे में जानेंगे कि शुक्राणु क्या है?
और शुक्राणु जनन क्या है? तथा मनुष्य में शुक्राणुओं का निर्माण किस प्रकार से और कैसे होता है? दोस्तों यह जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है
जो छोटी कक्षाओं से लेकर उच्च कक्षाओं तक अवश्य पूछा जाता है। तो आइए दोस्तों जानते हैं, आज के इस लेख में शुक्राणु जनन क्या है:-
शुक्राणु जनन क्या है what is spermatogenesis
शुक्राणुजनन वह एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है, जिन्हें नर युग्मक भी कहा जाता है। मनुष्य के शुक्राणु को लिंग निर्धारण के लिए भी उत्तरदाई माना जाता है।
क्योंकि मनुष्य के शुक्राणु X और Y दो प्रकार के होते हैं। साधारण भाषा में कह सकते हैं, कि नर के जननांगों जिसे वृषण कहते हैं, में नर युग्मक शुक्राणु के निर्माण की प्रक्रिया शुक्राणु जनन (Spermetogenesis) कहलाती है।
कशेरुकी जंतुओं के वृषण (Testis) में बहुत सारी शुक्रजन नालिकायें होती है। इन नालियों के अंदर का स्तर जनन एपिथीलियम कोशिकाओं से बना होता है।
इन कोशिकाओं में शुक्राणु जनन की प्रक्रिया के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण होता है। और यह शुक्राणु कुछ विशिष्ट प्रकार की कोशिकायें जिन्हें सरटोली कोशिकाएँ कहा जाता है, में पहुँच जाती हैं और पोषण प्राप्त करती हैं।
शुक्राणु जनन की परिभाषा defination of spermatogenesis
नर युग्मक शुक्राणु का विकास नर जनन अंगों में शुक्राणु जनन की प्रक्रिया के फलस्वरूप होना शुक्राणु जनन कहलाता है।
सभी कशेरुकी प्राणियों में शुक्रजन नालिकायें होती है, जहाँ पर शुक्राणुओं के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। तथा शुक्राणुओं का निर्माण होने के बाद यह शुक्राणु सरटोली कोशिकाओं में पहुँच जाते हैं जहाँ इन शुक्राणुओं का पोषण होता है।
मनुष्य में शुक्राणु निर्माण कैसे होता है how sperm is produced in man
मनुष्य में शुक्राणु निर्माण निम्न दो प्रकार के होता है:-
- स्पर्मेटिड का निर्माण
- स्पर्मेटोलियोसिस या कायांतरण
स्पर्मेटिड का निर्माण Formation of spermatids
शुक्राणु जनन की सबसे पहली अवस्था स्पर्मेटिड का निर्माण होती है। नर जनन अंग वृषण की एपीथीलीयम कोशिकाओं में स्पर्मेटिड का निर्माण होता है।
इन कोशिकाओं को प्राइमोडियल जनन कोशिकाएँ भी कहा जाता है। स्पर्मेटिड का निर्माण निम्न तीन चरणों में पूर्ण होता है:-
A. बहुगुणन अवस्था Multiplication stage
प्राइमोडियल जनन कोशिका एक बड़ी कोशिका होती है, जिसमें अनुवांशिक पदार्थ सक्रिय रूप में भरा होता है जिसे क्रोमोटिन (Chromatin) कहा जाता है। इस बड़ी कोशिका में बार-बार समसूत्री विभाजन (Mitosis) होने लगता है।
जिसके फलस्वरूप एक कोशिका कई छोटी-छोटी कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है। जिन्हें स्पर्मेटोगोनिया (Spermatogonia) कहा जाता है। सभी कोशिकाएँ शुक्रजन वाहिनी में पहुँच जाती हैं और वृद्धि करने लगती हैं।
वृद्धि अवस्था Growth stage
अब कोशिकाएँ जिन्हें स्पर्मेटोगोनिया कहा जाता है वृद्धि अवस्था में पहुँचती हैं, और अपने आकार में विभिन्न प्रकार की संश्लेषण प्रक्रियाओं के फलस्वरूप वृद्धि करने लगती हैं।
वृद्धि अवस्था के द्वारा इन कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार के पदार्थों का शसश्लेषण होता है, इसलिए इनका आकार बड़ा हो जाता है। अब इन बड़ी कोशिकाओं को प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट (Primary spermatocyte) के नाम से जाना जाता है।
यह कोशिकाएँ द्विगुणित (Diploid) कोशिकाएँ होती हैं, अब इनमें फिर विभाजन होता है, और यह विभाजन अर्धसूत्री होता है। जिसके यह अगुणित कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं।
परिपक्व विभाजन Mature split
वृद्धि अवस्था में परिपक्व हुई बड़ी कोशिका जिसे प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट कहा जाता है, में अर्धसूत्री विभाजन निम्न दो अवस्थाओं में पूर्ण होता है:-
- प्रथम परिपक्व विभाजन - इस अवस्था में बड़ी कोशिका जिसे प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट कहा जाता है, में अर्धसूत्री विभाजन होता है, जिसके कारण यह दो पुत्री कोशिकाओं हैप्लॉयड (Haploid) में विभाजित हो जाती है। अर्थात इनमें क्रोमोसोम की अवस्था 2x क्रोमोसोम से x क्रोमोसोम हो जाती है।
- द्वितीय परिपक्वन विभाजन - प्रथम परिपक्व विभाजन के बाद दो हैप्लॉयड कोशिकाओं में जिन्हें द्वितीय स्पर्मेटोसाइट कहा जाता है, समसूत्री विभाजन हो जाता है। इसके परिणाम स्वरूप 4 हैप्लॉयड स्पर्मेटिड का निर्माण होता है। अतः प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट्स से चार हैप्लॉयड स्पर्मेटिड (Spermatid) का निर्माण होता है। इन चारों स्पर्मेटिड में कायान्तरण होने के पश्चात यह शुक्राणु में बदल जाते हैं।
स्पर्मेटोलियोसिस या कायांतरण Spermatoliosis or Metamorphosis
स्पर्मेटिड कोशिकीय संरचना का होता है, अर्थात इनमें केंद्रक, साइटोप्लाज्म, साइटोप्लास्मिक अंग सभी सामान्य होते हैं।
एक प्रकार से यह अपरिपक्व शुक्राणु कहा जाता है। यह अपरिपक्व शुक्राणु कायांतरण के फलस्वरूप परिपक्व शुक्राणु में बदल जाता है। स्पर्मेटिड के कायांतरण में निम्न प्रकार के परिवर्तन होते हैं:-
केंद्रक में परिवर्तन (Change in nucleus) - सबसे पहले स्पर्मेटिड के केंद्रक में परिवर्तन होते हैं, केंद्रक में आवश्यकता से अधिक पानी निकल जाता है, जिससे केंद्रक भार कम हो जाता है।
केंद्रक में उपस्थित आवश्यकता से अधिक डीएनए (DNA) तथा आरएनए (RNA) केंद्रक से बाहर आ जाते हैं और केंद्रक की गोलाकार आकृति संकुचित हो जाती है, और लंबी हो जाती है। तथा पश्च भाग में एक गड्ढा हो जाता है, जिसमें सेंट्रियोल स्थित रहता है।
एक्रोसोम का निर्माण (Formation of acrosome) - शुक्राणु के आगे का नुकीला भाग एक्रोसोम कहलाता है, एक्रोसोम निषेचन के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,
इसलिए एक्रोसोम का निर्माण स्पर्मेटिड के गॉलजी बॉडी नामक संरचना से होता है। स्पर्मेटिड का आगे का भाग नुकीला होता है, जबकि पीछे का भाग केंद्रक से चिपक जाता है।
एक्रोसोम के आगे वाले भाग में विभिन्न विभिन्न प्रोटीन अपघटनकारी एंजाइम होते हैं। इन एंजाइम की मदद से एक्रोसोम के द्वारा अंडाणु को भेदा जाता है।
सेंट्रियोल (Centriole) - स्पर्मेटिड का सेंट्रियोल दो सेन्ट्रियोल में बंट जाता है, जब शुक्राणुओं का निर्माण होने लगता है, तो दोनों सेंट्रियोल केंद्रक के पश्च की ओर जाते हैं।
इनमें से एक सेंट्रियोल केंद्र के पश्च में गड्ढे में स्थित हो जाता है, जिसको समीपस्थ सेंट्रियोल कहने लगते हैं। जबकि दूसरा सेंट्रियोल शुक्राणु के मध्य भाग में स्थित हो जाता है जिसे दूरस्थ सेंट्रियोल कहा जाता है।
माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) - स्पर्मेटिड में पाए जाने वाले सभी माइट्रोकांड्रिया शुक्राणु की संरचना में मध्य भाग में स्थित हो जाते हैं।
यह माइट्रोकांड्रिया अक्षीय तंतु के चारों ओर मध्य भाग में स्पाइरल रूप में व्यवस्थित रहते हैं जिसे निबेनक़र्न कहा जाता है।
साइटोप्लाज्म में परिवर्तन (Changes in cytoplasm) - स्पर्मेटिड के साइटोप्लाज्म में विभिन्न प्रकार के पदार्थ होते हैं, तथा साइटोप्लाज्म में परिवर्तन होने के फलस्वरूप स्पर्मेटिड के साइटोप्लाज्म से आवश्यकता से अधिक जल
तथा अनावश्यक पदार्थों को स्पर्मेटिड से बाहर निकाल दिया जाता है। अब साइटोप्लाज्म केंद्रक के चारों ओर एक पतले स्तर के रूप में ही रह जाता है, जिसे मेनचट कहते है।
अक्षीय तंतुओं का निर्माण (Formation of axillary fibers) - स्पर्मेटिड में एक सेंट्रियोल होता है, जो दो पुत्री सेंट्रियोल में बदल जाता है। पहले सेंट्रियोल को समीपस्थ सेंट्रियोल और दूसरे सेंट्रियोल को दूरस्थ सेंट्रियोल कहते हैं। दूरस्थ सेंट्रियोल शुक्राणु की पूंछ की मुख्य अक्ष का निर्माण करता है,
इसी सेंट्रियोल से अक्षीय तंतुओं का निर्माण भी होता है। तथा यह अक्षीय तंतुओं के लिए आधारीय कण का कार्य करता है, जिससे परिपक्व शुक्राणु (Mature sperm) अक्षीय तंतु से जुड़े रहते हैं।
दोस्तों इस लेख में आपने शुक्राणु जनन किसे कहते हैं (What is Spermetogenesis) शुक्राणु क्या है? आदि के बारे में पढ़ा आशा करता हुँ यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
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