जल प्रदूषण किसे कहते हैं कारण और उपाय what is water pollution, causes and remedies
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख जल प्रदूषण किसे कहते हैं? (what is water pollution) जल प्रदूषण के कारण और जल प्रदूषण को रोकने के उपाय में।
दोस्तों आज हम इस लेख में विश्वव्यापी संकट जल प्रदूषण के बारे में पड़ेंगे की जल प्रदूषण क्या है? जल प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?
और इससे होने वाले कुप्रभाव कौन-कौन से हैं? तो आइए दोस्तों शुरू करते हैं आज का यह लेख जल प्रदूषण किसे कहते हैं:-
जल प्रदूषण किसे कहते हैं what is water pollution
जल पृथ्वी पर एक जीवनदायिनी तत्व होता है, इस परिस्थितिकी (Ecology) के निर्माण में जल सबसे आधारभूत कारक है।
जल ही एक ऐसा प्राकृतिक तत्व है, जो समस्त धरातल पर 70% से अधिक पाया जाता है। किन्तु यह प्रकृति का वरदान मनुष्य दूषित कर रहे है।
समान्यतः प्राकृतिक तथा मानव के द्वारा जब जल में किसी भी प्रकार के आवांछनीय तत्व मिल जाते हैं, जिससे जल के प्राकृतिक गुण बदल जाते हैं,
तब उस स्थिति को जल प्रदूषण कहते हैं। तब यह जल पीने योग्य नहीं रह जाता और यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है।
साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि जल में भौतिक तथा मनुष्यों के कारण कुछ ऐसे वाहय पदार्थ मिल जाते हैं, जिनके कारण जल
अपने प्राकृतिक गुणों को खो देता है। जिसका प्रभाव जीवों के स्वास्थ्य (Health) पर पड़ता है, उस जल को प्रदूषित जल कहते हैं।
जल के कई बड़े बड़े स्रोत हैं, जैसे- महासागर, सागर नदियाँ और झीलें ग्लेशियर तालाब आदि किंतु इस जल का प्रयोग बहुत ही कम मात्रा में या ना के बराबर किया जाता है।
मनुष्य अधिकतर धरातल के अंदर का जल ट्यूबेल (Tubule) नलकूप (Tube well) कुआँ (well) आदि के माध्यम से प्राप्त करते हैं और
अपने जीवन में विभिन्न कार्यों में उपयोग करते हैं। बहुत सी जगहों पर नदियों और झीलों का भी जल उपयोग में लाया जाता है।
जल प्रदूषण का कारण Causes of water pollution
मनुष्य, पशु, पक्षियों, जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है।इसीलिए जल को स्वच्छ रखना बहुत ही आवश्यक है जल प्रदूषण के निम्न कारण है :-
मानव द्वारा प्रदूषण (Pollution by humans) - वर्तमान समय में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जल के स्रोतों का दोहन लगातार किया जा रहा है,
प्रयुक्त किए जाने वाले जल और उसके मल मूत्र को नालियों से होते हुए नालो तथा फिर नदियों और झीलों में डाल दिया जाता है,
लोग नदियों में कूड़ा कचरा फेंकते हैं। नदियों के किनारे शौच करते हैं, कपड़े धोते हैं, अपनी मवेशियों को नदियों में नहलाते हैं, जिस कारण जल लगातार प्रदूषित (polluted) हो रहा है।
औधोगिक अपशिष्ट के द्वारा (Through industrial waste)- आज का युग औद्योगिक Industrial age युग कहलाता है, क्योंकि बढ़ती हुई औद्योगीकरण के कारण आज सुई से लेकर हवाई जहाज तक सभी
औद्योगिक इकाइयों (Industrial units) में बनाई जाती है। इसलिए उद्योगों की संख्या भी बहुत अधिक हो गई है। जिनमें से बहुत से ऐसे उद्योग हैं, जहां पर रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है,
और जो रासायनिक पदार्थों का रासायनिक कचरा (Chemical waste) बचता है, उस कचरे को नालियों के द्वारा नदियों में फेंक दिया जाता है।
जिससे नदियों का जल बुरी तरह से प्रदूषित हो जाता है। नदियों के जल जीव मरने लगते हैं तथा उनमें विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
भारत की सबसे विशाल पवित्र नदी गंगा में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों से कचरा फेंका जा रहा है, जिसकी सफाई के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है।
भारत देश ही नहीं बल्कि संसार की बहुत सी ऐसी नदियाँ है, जो अब इस तरह प्रदूषित हो चुकी है। कि उनमें नहाने से भी भयंकर बीमारियाँ (Dangerous Desease) उत्पन्न हो सकती हैं।
एक सर्वे के अनुसार कानपुर नगर से 460 हजार लीटर अशुद्ध जल प्रतिदिन गंगा नदी में बहाया जाता है, जिसके कारण गंगा नदी के जल जीवो के साथ ही मानव के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
कृषि अवशेष (Agricultural residue)- फसल को बचाने के लिए तथा अधिक उपज प्राप्त करने के लिए लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार की कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है।
लेकिन इन कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद (Pesticides and chemical fertilizers) का प्रभाव कीटों पर तो पड़ता ही है, साथ ही साथ भूमि पर भी पड़ता है,
जिससे भूमि प्रदूषित होने के साथ ही भूमि के जल के रिसाव में रासायनिक पदार्थ नदी नालों में पहुंच जाते हैं, और नदियों को प्रदूषित कर देते हैं।
बाढ़ (Flood) - बाढ़ भी जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, बाढ़ के कारण आसपास का कूड़ा कचरा गंदगी सभी नदियों में पहुंचती है।
जिसके कारण नदियों का जल प्रदूषित हो जाता है, नदियों में गंदगी जम जाती है और नदियों की जल सोखने की क्षमता घटने लगती है।
बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बाढ़ अक्सर आती रहती है, जिससे वहाँ के कुओं का जल भी प्रदूषित हो जाता है।
धार्मिक कार्यक्रम (Religious Programm)- लोगों का मानना है, कि गंगा नदी तथा कुछ अन्य नदियों में पूजा की सामग्री डालने से पुण्य प्राप्त होता है।
इसीलिए गंगा नदी सहित विभिन्न नदियाँ पूजा की जली अधजली सामग्री से लगातार प्रदूषित हो रही हैं। कुछ लोगों का तो यह मानना है,
कि भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा में अस्थि विसर्जन से स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए लोग प्रत्येक दिन गंगा नदी में अधजले शव,
पूजा की सामग्री, राख तथा अस्थियों का विसर्जन करते हैं, जिससे गंगा का जल लगातार प्रदूषित (Polluted) होता जा रहा है।
जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव Bad effect of water pollution
प्रदूषित जल का उपयोग मानवीय क्रियाकलापों में करने से विभिन्न प्रकार के घातक परिणाम देखने को मिलते हैं। प्रदूषित जल पीने से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ जैसे-
पीलिया (Jaundice) अतिसार (Diarrhea) हैजा (Cholera) आंत के रोग, पेट के रोग कब्ज, खुजली, कैंसर, पथरी, पित्त के रोग, चेचक आदि जानलेवा रोग उत्पन्न होने लगते हैं।
ऐसी बीमारियों के द्वारा गांव के तो लोग प्रभावित होते ही हैं। साथ ही शहर के लोग भी चपेट में आ जाते हैं। रासायनिक पदार्थ से प्रदूषित जल का उपयोग करने से शरीर में विभिन्न प्रकार की
अनियमितताएँ उत्पन्न होने लगती हैं। शरीर विकृत हो जाता है, तथा जीन संबंधी रोग होने लगते हैं। शरीर कमजोर होता जाता है, मस्तिष्क कमजोर हो जाता है और व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।
जल प्रदूषण नियंत्रण के उपाय Water Pollution Control Measures
जल प्रदूषण के निवारण के लिए बहुत से उपाय हैं, उनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्न प्रकार से हैं:-
- रासायनिक कारखानों (Chemical Industries) का प्रदूषित जल नदी नालों तथा झीलों में ना बहाया जाए, इस जल का समुचित उपचार किया जाए।
- शहरों की गंदगी को नदियों में जाने से रोका जाए इसके लिए नगर निगम को सरकार के साथ मिलकर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।
- बाढ़ नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए जिससे जल के स्रोत प्रदूषित ना होने पाए।
- सार्वजनिक कुओं के ऊपर छतरी की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे हवा के द्वारा गंदगी धूल मिट्टी उस कुएँ में ना जाए और जल प्रदूषित होने से बचा रहे।
- चिता के बचे हुए अवशेष, अस्थियाँ तथा राख को नदियों में नहीं बहाना चाहिए इस प्रकार भी जल प्रदूषित होने से बच सकता है।
- जल प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में जो नियम व कानून सरकार के द्वारा बनाए गए हैं. उनका दृढ़ता से पालन किया जाना चाहिए जिससे काफी हद तक जल प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं।
- नदियों, झीलों तथा तालाबों के तट पर उद्योगों को लगाने की परमिशन नहीं दी जानी चाहिए।
- पढ़े लिखे लोगों को जल प्रदूषण से होने वाली हानियों को अन्य लोगों तक प्रचार प्रसार करना चाहिए।
दोस्तों इस लेख में आपने जल प्रदूषण किसे कहते हैं (what is water pollution) कारण और उपाय पढ़े, आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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