थाइमस ग्रंथि किसे कहते हैं, इसके कार्य what is thaymus gland its function
हैलो दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख थाइमस ग्रंथि किसे कहते हैं, इसके कार्य (what is thaymus gland its function) में।
इस लेख में आप अन्तःश्रावी ग्रंथि थायमस के बारे में जानेंगे कि, यह कहाँ पायी जाती है, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और इसके कार्य क्या है, तो शुरू करते है, यह लेख थाइमस ग्रंथि किसे कहते हैं, इसके कार्य:-
थाइराइड ग्रंथि क्या है, इसके कार्य
थाइमस ग्रंथि किसे कहते हैं what is thaymus gland
थायमस एक नलिका विहीन ग्रंथि होती है, जिसे लिमंफाइड अंग कहा जाता है, क्योंकि थाइमस के अंदर लिंफोसाइट या T सेल पाई जाती हैं।
जो प्रतिरक्षा (Immunity) का कार्य करती हैं। थाइमस ग्रंथि वक्ष (Thorex) में एक संरचना स्टरनम के पीछे होती है। थाइमस ग्रंथि की संरचना फलास्क के जैसी दिखाई देती है,
जो दो पालियों में विभाजित होती है। थाइमस ग्रंथि की दोनों पालियाँ या लोब असमान होते हैं। इनमें बाई पाली छोटी होती है जबकि दाई पाली बड़ी होती है।
थायमस ग्रंथि की प्रत्येक पालि या लोब (Lob) छोटी-छोटी संरचनाओं से मिलकर बनी होती हैं, जिन्हें लोब्यूल (Lobule) कहते हैं।
थायमस एक ऐसी अंतः स्रावी ग्रंथि है, जो 18 वर्ष तक विकसित होती है, और धीरे-धीरे थाइमस ग्रंथि का हास हो जाता है।
तथा बुढ़ापा आने तक यह पूरी तरीके से विलुप्त हो जाती है, इसलिए थाइमस ग्रंथि के कारण ही बुढ़ापा आता है।
थाइमस ग्रंथि की उत्पत्ति Origin of thymus gland
थाइमस ग्रंथि का निर्माण भ्रूण अवस्था के एंडोडर्म से हुआ है। तीसरी और चौथी ब्रेकियल कलेफ्ट से प्रारंभिक लिमंफाइड ऊतक का विकास होता है।
इन्हीं ऊतक में लिंफोसाइट बनते हैं, और इसके बाद इसको एंडोडरमल संरचना मेसोडर्म घेर लेती है। तथा लिमंफाइड विकसित हो जाता है,
जिसमें t सेल या लिंफोसाइट कोशिकाएँ पाई जाती हैं जो प्रतिरक्षा का कार्य करती हैं।
थाइमस ग्रंथि की संरचना Structure of thymus gland
थाइमस ग्रंथि बाहर की ओर से एक दृढ संयोजी ऊतक (connective tissues) से बने विशेष कवच से ढकी रहती है, जिसे कैप्सूल (capsule) कहते हैं।
इस कैप्सूल से ट्रेवीकुली जो कई प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनी होती है, ग्रंथि में अंदर की ओर पहुंचते हैं, और लोब्यूल बनाते हैं,
और यही लोब्यूल बाहर की ओर सघन कोर्टेक्स (Cortex) और अंदर की ओर असघन मेड्यूला (Medula) बना देती है।
थाइमस ग्रंथि की संरचना में तीन प्रकार के भाग होते हैं
- कैप्सूल
- कोर्टेक्स
- मेडयूला
कैप्सूल (Capsule) - थाइमस ग्रंथि के बाहरी आवरण को कैप्सूल कहा जाता है। जिसका निर्माण सफेद प्रकार के संयोजी ऊतक से होता है।
इन संयोजी ऊतक में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं जैसे- मैक्रोफेज कोशिकाएँ, प्लाज्मा कोशिकाएँ, मास्ट कोशिकाएँ, कण युक्त रक्त श्वेत कोशिकाएँ
तथा वसा कोशिकाएँ, कैप्सूल के सहारे ही संयोजी ऊतक ग्रंथि के अंदर प्रवेश करते हैं। यहाँ पर इनको ट्रेविकुली कहा जाता है। और ये ट्रेविकुली ग्रंथि को बहुत लोब्यूल मैं बांट देती है।
कोर्टेक्स (Cortex) - वह सघन भाग जिसमें लिंफोसाइट पाए जाते हैं। उसे कॉर्टेक्स कहा जाता है। यहाँ पर लिंफोसाइट भी तीन अलग-अलग प्रकार के होते हैं
जिनमें लगभग 1% लिंफोसाइट बड़े होते हैं, 10% मध्यम आकार के होते हैं, तथा बाकी बचे हुए सबसे छोटे आकार के लिंफोसाइट पाए जाते हैं।
इनमें बड़े लिंफोसाइट आवश्यकता पड़ने पर मध्यम और छोटे आकार के लिंफोसाइट में परिवर्तित भी हो जाते हैं जबकि लिंफोसाइट दिन में आवश्यकता के
अनुसार तीन से चार बार विभाजित भी हो जाते हैं। इसलिए कॉर्टेक्स वाला भाग एक लिंफ की तरह कार्य करता है।
मेडयूला (Medula) - यह थाइमस ग्रंथि का चौड़ा और शखित भाग होता है, जो कई शाखाओं में बटा होता है और रेटिकुलर एपीथिलियम का बना होता है।
इस भाग में कॉर्टेक्स की तुलना में बहुत ही कम लिंफोसाइट कोशिकाएँ पाई जाती हैं। इस भाग में प्लाज्मा कोशिकाएँ, मास्ट कोशिकाएँ,
मेलानोसाइट तथा इयोसायनोफिल कोशिकाएँ पाई जाती हैं। इस भाग में चपटी रेटीकूलर कोशिकाओं से निर्मित हैसल्स कोशिकाएँ पाई जाती हैं।
जो अम्लीय अभिरंजक से रंगी जाती हैं जिनका नाम थायमिक कोशिका भी है।
थाइमस ग्रंथि का हार्मोन thymus gland hormones
थाइमस ग्रंथि से थाइमोसिन (Thaimosin) नामक हार्मोन निकलता है, और यह हार्मोन प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
थाइमोसिन हार्मोन अस्थि मज्जा में निर्मित स्टेम कोशिकाओं के द्वारा पूर्व टी कोशिकाओं के विभेदीकरण में महत्वपूर्ण योगदान निभाता है
और उन्हें टी कोशिकाओं (T cells) में परिवर्तित होने में मदद करता है जो लिंफ (Limph) अंगों में एकत्रित हो जाती हैं।
प्रतिरक्षा में थायमस की भूमिका Role of thymus in immunity
थाइमस ग्रंथि बच्चे के जन्म से पूर्व t कोशिकाओं को विकसित करती है, और यह क्रिया लगभग बच्चे के जन्म के 2 माह पूर्व ही हो जाती हैं।
यह प्रतिरक्षा अंगों जैसे त्वचा हृदय यकृत में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। थायमस में t कोशिकाएं चार प्रकार की होती हैं, और इनका कार्य भी
अलग-अलग होता है, किलर कोशिका एंटीजन पर प्रहार करने का कार्य करती हैं, हेल्पर कोशिकाएँ बी लिंफोसाइट को उत्तेजित करके एंटीबॉडी निर्माण में सहायक होती हैं।
मेमोरी कोशिकाएँ भविष्य में एंटीजन को पहचानने में सहायक होती हैं, जबकि संप्रेषण कोशिकाएं उत्तेजित प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य बनाने में मदद करती हैं।
हैलो दोस्तों आपने इस लेख में थाइमस ग्रंथि किसे कहते हैं, (what is thymus gland) इसके कार्य होर्मोन्स आदि के बारे में पड़ा, आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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