संघ एस्केल्मिथीज के लक्षण symptoms of Phylum Aschelhelminthes

संघ एस्केल्मिथीज के मुख्य

संघ एस्केल्मिथीज के मुख्य लक्षण symptoms of phylum Aschelhelminthes 

हैलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख संघ एस्केल्मिथीज के लक्षण (Symptoms of phylum Aschelhelminthes) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप

संघ एस्केल्मिथीज क्या है। संघ एस्केल्मिथीज के सामान्य लक्षण क्या है। तथा संघ एस्केल्मिथीज को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है।

के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानेंगे। तो आइए दोस्तों शुरू करते हैं आज का यह लेख संघ एस्केल्मिथीज के लक्षण:-

उभयचर वर्ग के लक्षण

एस्केल्मिथीज निमेटोड क्या है what is aschelhelminthes Nimatode 

एस्केल्मिथीज या निमेटोड (Nimetod) वे प्राणी होते हैं, जिनका शरीर अंगीय स्तर का तथा द्वीपाशर्व सममित होता है। यह प्राणी धागे के जैसे होते हैं।

इसलिए इन प्राणियों को सूत्रकृमि भी कहा जाता है। एस्केल्मिथीज निमेटोड संघ के प्राणियों में एक अवास्तविक शारीरिक गुहा होती है।

जो देहभित्ति और आहार नाल के बीच में पाई जाती है। एस्केल्मिथीज Aschelhelminthes दो शब्दों से मिलकर बना है Askos = Cavity = गुहा Helminthes =Worm =कृमि अर्थात

एस्केल्मिथीज या निमेटोड वे प्राणी होते हैं। जिनके शरीर की संरचना अंगीय स्तर की तथा वे धागे के समान होते है। जिन्हें सूत्र कृमि और गुहा युक्त कृमि कहा जाता है।

नामकरण Nomenclature 

एस्केल्मिथीज निमेटोड का गहन अध्ययन करने पर गेगेनबोर ने 1859 में इन जंतुओं के संघ का नामकरण किया। वर्तमान में इस संघ एस्केल्मिथीज निमेटोड में लगभग 12000 प्रजातियाँ ज्ञात हैं।

संघ प्रोटोजोआ के मुख्य लक्षण

संघ निमेटोड के लक्षण  symptoms of phylum Nimatode 

संघ एस्केल्मिथीज के लक्षण - निम्न प्रकार से है 

आवास और प्रकृति (Habitat and Nature)- संघ एस्केल्मिथीज के जीवधारी परजीवी कृमि के रूप में होते हैं। तथा अधिकतर कशेरुकी जंतुओं में अंतः परजीवी के रूप में पाए जाते हैं।

शारीरिक आकृति (Body shape) - एस्केल्मिथीज निमेटोड के प्राणियों का शारीरिक स्तर अंगीय स्तर का होता है।

सममिति और जनन स्तर (Symmetry and reproductive level) - एस्केल्मिथीज निमेटोड द्वीपाशर्व सममित तथा त्रिजनन स्तरीय प्राणी होते हैं।

देहभित्ति (Bodywall) - एस्केल्मिथीज निमेटोड की देहभित्ति हाइपोडर्मिस बहुकेंद्रिकीय प्रकृति की होती है। इसके नीचे पेशीय स्तर पाया जाता है। और बाहर से यह क्यूटिकल के आवरण से ढकी रहती है। 

देहगुहा (Body Cavity) - इन प्राणियों में सबसे पहले देहगुहा का विकास होता है। जो आहार नाल और देहभित्ति के मध्य पाई जाती है।

इस देह गुहा को मिथ्या देहगुहा कहा जाता है। क्योंकि यह देहगुहा मीसोडर्मल स्तर की सीलोमिक एपीथिलियम से युक्त नहीं होती है।

पोषण (Nutrition) - एस्केल्मिथीज निमेटोड अन्तः परजीवी होते हैं। इसलिए अपने पोषक से ही पोषक पदार्थों को प्राप्त करते हैं।

इनमें आहारनाल विकसित होती है। इनके अग्रभाग पर मुख और पश्च भाग पर गुदा होती है। फेरिंग्स पेशीय स्तर का और चूषक अंग होता है।

उत्सर्जी तंत्र (Excretory system) - इन प्राणियों का उत्सर्जन तंत्र ग्रंथिल संरचनाओं और नालीकाओं से मिलकर बना होता है। जबकि उत्सर्जन की क्रिया एक बड़ी उत्सर्जी कोशिका के द्वारा होती है।

तंत्रिका तंत्र (Nervous system) - इन प्राणियों में कई तंत्रकीय कोशिकाओं से बनी एक गैंगलियोन युक्त रिंग जैसी संरचना पाई जाती है। इससे अनेक अग्र और पश्च तंत्रिकायें निकलती है।

संवेदी अंग (Sensory Organ) - इस संघ के कुछ प्राणियों के अग्र और पश्च सिरे पर एमफीडिस्क संरचनायें पायी जाती है। जो रसायन और स्पर्श संवेदी होती है।

प्रजनन तंत्र (Reproduction system) - इस संघ के अधिकांश जंतु एक लिंगी होते है। तथा इनमें लैंगिक द्वीरूपता उपस्थित होती है।

श्वसन तंत्र और परिसंचरण तंत्र (Respiratory and circulatory system) - एस्केल्मिथीज निमेटोड में स्वसन तंत्र और परिसंचरण तंत्र अनुपस्थित होता है।

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एस्केल्मिथीज संघ निमेटोड  का वर्गीकरण classification of phylum Aschelhelminthes

एस्केल्मिथीज निमेटोड संघ को मुख्य रूप से निम्न पांच वर्गों में वर्गीकृत किया गया है:-

1. वर्ग class - निमेटोड Nimatode

 सामान्य लक्षण 

  1. यह प्राणी अखंडित गोल कृमि तथा उनका शरीर पतला वेलनाकार होता है।
  2. इस वर्ग के जीवों में पाचन तंत्र पूर्ण और स्थाई प्रकार का पाया जाता है।
  3. इनमें पाई जाने वाली एपीडर्मिस बहूकेंद्रकीय होती है जबकि क्यूटीकल अवरोधी होता है।
  4. प्राणियों में देहगुहा आभासी होती है, जबकि परिवहन तंत्र और श्वसन तंत्र अनुपस्थित होता है।
  5. प्राणियों में उत्सर्जन तंत्र सरल प्रकार का होता है। उत्सर्जन तंत्र में नालें तथा ग्रंथि के समान अंग पाए जाते हैं, किंतु ज्वाला कोशिकाएं अनुपस्थित होती हैं।
  6. प्राणियों में लिंग पृथक होते हैं, जबकि निषेचन आंतरिक प्रकार का होता है।
  7. इस वर्ग के प्राणी आकशेरूकीय प्राणियों के अंदर अन्तः परजीवी के रूप में पाए जाते हैं।

उदाहरण - एस्केरिस

2. वर्ग class - निमेटोमोरफा Nimatomorpha

सामान्य लक्षण

  1. इन प्राणियों का शरीर लंबा तथा बेलनाकार होता है, जिनमें अग्र शिरा गोल जबकि पश्च सिरा फूला हुआ होता है।
  2. एपीडर्मिस एक स्तर की जिसके ऊपर पैपिलेट क्यूटिकल का आवरण होता है।
  3. इन प्राणियों में संवहन तंत्र स्वशन तंत्र और उत्सर्जी तंत्र का पूरी तरह से अभाव होता है।
  4. प्राणियों में तंत्रिका तंत्र के रूप में तंत्रिका वलय तथा एकाकी तंत्रिका राज्जू पाया जाता है।
  5. इस वर्ग के प्राणियों में नर और मादा जनन अंग अलग-अलग प्राणियों में होते हैं।

उदाहरण - नेकटोनीमा

 3. वर्ग class - रोटिफेरा Rotifera

सामान्य लक्षण

  1. इस वर्ग के प्राणी अधिकांश सूक्ष्मदर्शी होते हैं, जो स्वच्छ जल में रहते हैं। किंतु परजीवी नहीं होते।
  2. यह प्राणी द्वीपाशर्व सममित त्रिस्तरीय और देहगुहावहीन प्राणी होते हैं।
  3. इन प्राणियों के शरीर के पश्च शिरा जिसे पूँछ भी कहते हैं, वह शखित और गतिशील होता है।
  4. तंत्रिका तंत्र साधारण प्रकार का तथा संवेदी अंग नेत्र बिंदु होते हैं।
  5. लिंग प्रथक होते हैं, इनमें मादा नर से बड़ी होती है तथा यें अंडे और बच्चे दोनों ही देते हैं।

उदाहरण - रोटोरिया

4. वर्ग class - गैस्ट्रोटाइका Gastrotricha

सामान्य लक्षण

  1. प्राणी स्वतंत्र और अखंडित होते हैं, जो समुद्री जल और साफ जल में समुद्री शैवालों के साथ पाए जाते हैं।
  2. इन प्राणियों का शरीर अधर भाग से चपटा होता है। जबकि इनके शरीर पर सीलिया पाए जाते हैं।
  3. शरीर का बाहर आवरण कूटिकल से ढका हुआ रहता है। क्यूटिकल पर शल्क का सूल पाए जाते हैं। 
  4. प्रजनन लैंगिक प्रकार का और अप्रत्यक्ष परिवर्धन पाया जाता है।
  5. तंत्रिका तंत्र में एक मस्तिषकीय गुच्छीका और अनुदैध्य तंत्रिका राज्जू उपस्थित होते हैं।

उदाहरण - मेक्रोडेसिस

5. वर्ग class - काईनोरिंका Kinorhyncha

सामान्य लक्षण

  1. इस वर्ग में सूक्ष्म कृमि और समुद्री प्राणी आते हैं।
  2. इन प्राणियों के शरीर पर खंड विभाजन होता है, लगभग 13 से 14 खंड पाए जाते हैं।
  3. इन प्राणियों का शरीर शूलीय क्यूटिकल से ढका हुआ रहता है। जबकि सीलिया अनुपस्थित होते हैं।
  4. इन प्राणियों के अग्र भाग पर एक जोड़ी आसंजक नालीकाएँ पाई जाती है।
  5. आहार नाल पूर्ण विकसित होती है, ग्रसनी पेशीय आमाशय और आंत चौड़ी तथा गुदा अंतिम भाग पर होता है।

उदाहरण - इकाइनोडेरिस

एस्केरिस किस संघ का जंतु है। Ascaris belongs to which phylum 

एस्केरिस जंतु संघ एस्केल्मिथीज या निमेटोड के अंतर्गत आने वाला एक अन्तःपरजीवी जंतु है। जो मनुष्य और सुअर की आंत में अन्तः परजीवी के रूप में पाया जाता है। और

एस्केरियासिस नामक बीमारी उत्पन्न कर देता है।. एस्केरिस का वैज्ञानिक नाम एस्केरिस लम्बरीकोइडस होता है। जो संघ एस्केल्मिथीज के वर्ग निमेटोड के अंतर्गत आने वाला एक परजीवी होता है।


संघ एस्केल्मिथीज के मुख्य

एस्केरिस का क्लासिफिकेशन classification of ascaris

  1. संघ phylum - एस्केल्मिथीज Aschhelminthes
  2. वर्ग class - निमेटोड Nematode
  3. वंश Genus - एस्केरिस ascaris
  4. जाति Species - लम्बरीकोइडस lumbricoides

एस्केरिस के लक्षण symptoms of ascaris 

  1. एस्केरिस मनुष्य और सुअर की आंत में पाया जाने वाला एक रोग फैलाने वाला रोग कारक तथा परजीवी होता है।
  2. एस्केरिस का शरीर लंबा बेलनाकार तथा दोनों सिरों पर नुकीला होता है।
  3. एस्केरिस मादा और नर दोनों अलग-अलग होते हैं। इनमें लैंगिक द्वीरूपता पाई जाती है।
  4. नर एस्केरिस मादा एस्केरिस से थोड़ा छोटा होता है। नर एस्केरिस का पश्च सिरा मुड़ा हुआ होता है। और मैथुन कंटिकायुक्त होता है।
  5. इनका शरीर क्यूटिकल की एक कठोर आवरण से चारों ओर से ढका रहता है।
  6. एस्केरिस का मुख त्रिकोण जैसा होता है। इनमें तीन ओंठो से घिरा हुआ एक चूषकनुमा संरचना होती है।
  7. एस्केरिस की आहार नाल सरल और विकसित होती है जबकि स्वसन तंत्र परिसंचरण तंत्र अनुपस्थित होता है।
  8. मादा एस्केरिस में जनन छिद्र अग्रभाग पर 1/3 भाग पीछे अधर तल पर उपस्थित होता है।
  9. इनका शरीर परजीवी जीवन जीने के लिए अनुकूलित होता है।
  10. एस्केरिस मानस में एक बीमारी जिसे एस्केरियासिस उत्पन्न कर देता है।

दोस्तों इस लेख में आपने संघ एस्केल्मिथीज निमेटोड के सामान्य लक्षण ((Symptoms of phylum Aschelhelminthes))  के साथ ही एस्केरिस के बारे में पढ़ा। आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।

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